छोटी सी लिस्ट ख़्वाहिशों की
सुनो ……. छोटी सी लिस्ट ख़्वाहिशों कीतुम रूह में ठहर गये होजाओगे निकल के तोमैं लाश बन जाऊंगाऔर…रूह मेंबसी हुई जानकिसी और के साथ होयह हरगिज़ बर्दाश्त नहीं मुझे मुझको क्या हक,मैं किसी को...
सुनो ……. छोटी सी लिस्ट ख़्वाहिशों कीतुम रूह में ठहर गये होजाओगे निकल के तोमैं लाश बन जाऊंगाऔर…रूह मेंबसी हुई जानकिसी और के साथ होयह हरगिज़ बर्दाश्त नहीं मुझे मुझको क्या हक,मैं किसी को...
मां के लिए क्या कहूं,मां ख़ुद में ही पूर्ण हैजीवन के हर किरदार में मां सम्पूर्ण हैं,बचपन से लेकर अब तकहमेशा मां को देखाजो हर एक काम में निपुण हैं,पुत्री के रूप में पिता...
उसने अपना घर बनायाऔकात तो जन्म सेही नहीं छोड़ी थी आपने।उसने घास फूस का घर बनाया।आपने उसे तोड़ दिया।उसने गारा गोबर से घर बनाया।आपने उसे तोड़ दिया।उसने कच्ची ईंटों से घर बनाया।आपने उसे तोड़...
मानसिक समस्याएं और स्टिग्मा । जी हाँ मेरे एक फिजिसियन दोस्त ने बताया कि जब उन्होंने डिप्रेशन से ग्रसित एक व्यक्ति को ये कहा कि आपके सारे लक्षण डिप्रेशन नामक बीमारी के लगते हैं...
यह नदियों का मुल्क है,पानी भी भरपूर है ।बोतल में बिकता है,पन्द्रह रू शुल्क है।यह शिक्षकों का मुल्क है,स्कूल भी खूब हैं।बच्चे पढने जाते नहीं,पाठशालाएं नि:शुल्क है।यह अजीब मुल्क है,निर्बलों पर हर शुल्क है।अगर...
लौट आता हूँ वापस घर की तरफ… हर रोज़ थका-हारा,आज तक समझ नहीं आया की जीने के लिए काम करता हूँ या काम करने के लिए जीता हूँ। बचपन में सबसे अधिक बार पूछा...
बहुत सुँदर पंक्तियाँ संयुक्त परिवार के बिनावो पंगत में बैठ केनिवालों का तोड़ना,वो अपनों की संगत मेंरिश्तों का जोडना,वो दादा की लाठी पकड़गलियों में घूमना,वो दादी का बलैया लेनाऔर माथे को चूमना, सोते वक्त...
अनुभव अनुभव कैसे बनता है और उससे भी ज्यादा यह की अनुभव को लिखते किन शब्दों में है.. चेतना का अनुभव और उसकी व्याख्या दोनों का। जब तक विज्ञान स्पष्टता से अपनी सीमाये नहीं...
सुन्दर कविता जिसके अर्थ काफी गहरे हैं……..मैंने .. हर रोज .. जमाने को ..रंग बदलते देखा है ….उम्र के साथ .. जिंदगी को ..ढंग बदलते देखा है .. !!वो .. जो चलते थे ..तो...
बौद्धों का धम्मध्वज जैसा है वैसा ही क्यों है? 8 जनवरी, 1880 बौद्ध जगत में विशेष महत्व का दिन है क्योंकि इसी दिन ” धम्म ध्वज ” की स्थापना हुई थी। यह धम्म ध्वज...
“हम लोग मानवीकरण के छोटे-छोटे टापुओं पर रहते हैं। ज़्यादातर लोगों के पास मानवीकरण के महाद्वीप तक नहीं हैं , पृथ्वी तो फिर दूर की बात रही।” वह मुझसे कहता है। बरसात के कारण...
जब जब तुम मेरेसाथ होती हो,वो हर पलबहुत सा सुहाना लगता है,अमावस्या की अर्धरात्रि में भी,तुम पूर्णिमा का चाँदजैसे सी चमकती हो,तेरी पायल की छन् छन्नाहट से,आसपास सब संगीतमय हो जाता है, जब जब...
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