आज 26जनवरी का दिन

जाग उठा हैं अपना हिंदोस्तान
आज 26जनवरी का दिन
गणतंत्र दिवस समारोह का स्वाभिमान
जाग उठा हैं अपना हिंदोस्तान
आज़ादी की नारे लिए,
मचल उठा हैं अपना हिंदोस्तान,
माता बहने बच्चे बूढ़े,
सड़क पर हैं अपना हिंदोस्तान।
आँधी बादल ठंडी बारिश,
लांछन दमन का तूफान,
दरकिनार कर हर बाधाएं,
बढ़ रहा हैं अपना हिंदोस्तान।

हर रात एक नई सुबह,
दे रही हैं ये पहचान,
जातपात से ऊपर हैं,
आज का ये अपना हिंदोस्तान।
आवाज़ दो हम एक हैं,
अब बन चुका हैं नया स्वाभिमान,
देख हमारे भाईचारा को,
मुस्करा रहा हैं अपना हिंदोस्तान।
कम नहीं हैं ये जीत भी,
विश्व की सत्ता हैं आज परेशान,
साज़िशें सारी नाकाम कर,
जाग उठा हैं अपना हिदोस्तान।
अपने आचरण और व्यवहार से हमारा सौहाद्रपूर्ण प्रतिनिधित्व करें। सुशिक्षित हों, इस लायक हों कि आत्मशोधन और आत्मनिर्माण के अलावा लोक निर्माण की जिम्मेदारी निभा सकते हों लोकहित के लिए, जिसमें मानव-जाति का हित जुड़ा हुआ है, दोनों काम करता हुआ चला जाएगा। आप Hindi, (हिंदी) में जानना चाहे जिसमे की बेहतरीन रचनाएँ विश्वबंधु राज जी की देश और समाज पर आधारित कविताएं एवं रचनाएँ ( क़लम एक कुदाल ) मिलती है जिन्हे आप Facebook, Whats App पर post व शेयर कर सकते हैं पढ़िए विश्वबंधु राज जी की देश और समाज पर आधारित बेहतरीन कविताएं एवं रचनाएँ ( क़लम एक कुदाल )
- तुम लौटकर कब आओगे
- आज़ादी के गांव में
- जुदाई विश्वबन्धु
- आज़ादी विश्वबन्धु
- सांस लेने का हक़
- सर छुपाने का ठिकाना