आओ समाज समाज खेले

आओ समाज समाज खेले,
तेरा है ये,
मेरा है ये,
कित्ता फेरा है ये,
ऐसा है ये,
वैसा है ये,
तो जेसे का तैसा है ये
लूटा है ये,
फूटा है ये,
ये अब तक क्यों छूटा है
परमेष्ठी का है ये
श्रेष्टि का है ये
ये बेचारा ट्रष्टी का
आओ समाज समाज खेले
ये हटा देगा
ये मिटा देगा
ये तो भट्टा बिठा देगा
रेशा है ये
खेशा है ये
ये तो भय्या पेसा है
आंतो का है ये
बन्तो का है ये
तो भय्या पनतो का
रूठा है ये
ठुठा है ये
ये तो भैया झूठा है
आदि है ये
फरयादी है ये
ये भैया बड़ा बर्बादी है
प्यारा है ये
खारा है ये
समाज इसी से हारा है ये
आओ समाज समाज खेले
– – – – – – – क़लम एक कुदाल लेखक परिचय: लेखक-कंप्यूटर साइन्स – इंजिनियर , सामाजिक-चिंतक हैं । दुर्बलतम की आवाज बनना और उनके लिए आजीवन संघर्षरत रहना ही अमित सिंह का परिचय है।आप Hindi (हिंदी) में कुछ जानना या पढ़ना चाहे तो जिसमे की बेहतरीन सामाजिक लेखों का संग्रह पर आपको मिलता है। जिन्हे आप Facebook, Whats App पर post व शेयर कर सकते हैं पढ़िए बेहतरीन सामाजिक लेखों का संग्रह ( क़लम एक कुदाल )
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बहुत अच्छे