आज़ादी के गांव में

आज़ादी के गांव में ,
चाहे छाले पड़े पाव में,
चाहे टिस उठे घाव,
लगे हजारों इल्जाम चाहे,
संगीनों के छाव में,
चले चलो चले चलो,
आज़ादी के गांव में।

भूँख से जले अंतड़ियां चाहे,
हलक सूखे प्यास से,
गीत गाओ आज़ादी की,
इन्क़िलाब की भाव में,
चले चलो चले चलो,
आज़ादी के गांव में,
काफ़िला न टूटने पाए,
हाथ में हाथ ले के चलो,
गिरते हुये को थाम लो जरा,
सबको साथ ले के चलो,
चले चलो चले चलो,
आज़ादी के गांव चले चलो।
सबूत दे ~ विश्वबंधु
तू जिंदा हैं तो
जिंदा होने का सबूत दे,
सीने में धड़कन हैं तो
धड़कने का सबुत दे।
चलता फिरता यंत्र नहीं
इंसान होने का सबूत दे।
लांछित वंचित हैं तो
मेरे साथी होने का सबूत दे,
हालात से द्रवित हैं तो
पिघलते आँसुओं का सबूत दे,
सड़क पर लड़ रहे
पीड़ितों के कोई हैं तो सबूत दे।
तू गद्दार या मूक दर्शक ये नहीं
कहता पर अपना होने का सबूत दे।
बेशक नहीं लहू का रिश्ता पर
साथी होने का सबूत दे।
साथ हैं तो साथी होने का सबूत दे।
जो व्यथा हमारे दिल में हैं
व्यथित होने का सबूत दे।
वादा हैं तेरी हमारी दोस्ती की
अमर ये दास्तान रहेगा,
देश अवाम तुझे याद रखेगा
जब तक हिंदुस्तान रहेगा।
बारी तेरी भी आएगी ~विश्वबंधु
फिक्र न कर बारी तेरी भी आएगी,
किसी पर तु खामोश हैं,
कभी तेरे पर भी खामोश रहेंगे कोई,
पर इस बारी की इंतेज़ार क्यों!!!
कब्र सी ख़ामोशी ही
मौत का पैगाम हैं,
तारीख़ से सबक ले
तबाही की मंज़र दिखेगा,
अभी तो खामोश हैं दरिया,
सैलाब का इंतज़ार न कर,
कुछ तो उठा ले हाथ में,
सुखी लकड़ी ही सही,
तैरना आवे न सही सहारे मिलेंगे।
साहिल तो फिर भी मिलेंगे,
साथी तेरे और भी मिलेंगे।
अब खोल बन्द होठों को,
बन्द मुट्ठी को बुलंद कर,
खामोशी ही तेरी दुश्मन हैं,
यूं अगर तू ख़ामोश रहा,
तो फ़िक्र न कर बारी तेरी भी आएगी।
अपने आचरण और व्यवहार से हमारा सौहाद्रपूर्ण प्रतिनिधित्व करें। सुशिक्षित हों, इस लायक हों कि आत्मशोधन और आत्मनिर्माण के अलावा लोक निर्माण की जिम्मेदारी निभा सकते हों लोकहित के लिए, जिसमें मानव-जाति का हित जुड़ा हुआ है, दोनों काम करता हुआ चला जाएगा। आप Hindi, (हिंदी) में जानना चाहे जिसमे की बेहतरीन रचनाएँ विश्वबंधु राज जी की देश और समाज पर आधारित कविताएं एवं रचनाएँ ( क़लम एक कुदाल ) मिलती है जिन्हे आप Facebook, Whats App पर post व शेयर कर सकते हैं पढ़िए विश्वबंधु राज जी की देश और समाज पर आधारित बेहतरीन कविताएं एवं रचनाएँ ( क़लम एक कुदाल )
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