छोटी सी लिस्ट ख़्वाहिशों की

सुनो ……. छोटी सी लिस्ट ख़्वाहिशों की
तुम रूह में ठहर गये हो
जाओगे निकल के तो
मैं लाश बन जाऊंगा
और…
रूह में
बसी हुई जान
किसी और के साथ हो
यह हरगिज़ बर्दाश्त नहीं मुझे
मुझको क्या हक,
मैं किसी को मतलबी कहूँ..
मै खुद ही तुम को,
मुसीबत में याद करता हूँ !
छोटी सी लिस्ट है मेरी “ख़्वाहिशों” की
पहलीे भी “तुम” और आख़िरी भी “तुम।।
अक्सर लोग “ज़न्नत” के ख़्वाब देखते है
मेरी तो ” ख़्वाब “भी तुम ” ज़न्नत “भी तुम।।
दुआओं में दौलत की चाह रखते है लोग
मेरी तो ” दुआ “भी तुम” दौलत “भी तुम।।
क्यों जाऊं मैं ” मंदिर “क्यों जाऊ” मस्ज़िद “
मेरे तो ” शिव ” भी तुम ” शिवा “भी तुम।।
मंज़िल की चाह में दर दर भटकते है लोग
मेरी तो “चाहत” भी तुम “मंज़िल”भी तुम।।
क्यों गुनगुनाऊँ मैं “ग़ालिब” की “नज़म”
मेरी तो “नज़म” भी तुम “गज़ल”भी तुम।।
नहीं मैं तुझ से दूर और नहीं मैं तेरे बिना
हर वक़्त मेरे “पास”भी तुम “साथ”भी तुम।।
– – – लेखक परिचय: लेखक-कंप्यूटर साइन्स – इंजिनियर , सामाजिक-चिंतक हैं । दुर्बलतम की आवाज बनना और उनके लिए आजीवन संघर्षरत रहना ही अमित सिंह शिवभक्त नंदी का परिचय है। आप Hindi (हिंदी) में कुछ जानना या पढ़ना चाहे तो जिसमे की बेहतरीन सामाजिक लेखों का संग्रह पर आपको मिलता है। जिन्हे आप Facebook, WhatsApp पर post व शेयर कर सकते हैं पढ़िए बेहतरीन सामाजिक लेखों का संग्रह ( क़लम एक कुदाल )
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