हे परमपिता परमेश्वर !!

हे परमपिता परमेश्वर !!
मेरे नाथ, भोलेनाथ
काल हो या महाकाल
शिव कहो या शव
शौम्य रहो या रुद्र
तुम्हीं हो मेरी ज़िन्दगी में
एक मात्र साधक हो
तुम चाहे जो समझो
मुझे कोई फर्क नही
क्योंकि तुम ही मेरे पालनहारे हो
बोलने को तो मैं कुछ भी बोलूँ
अधनंगे, फक्कड़, नशेड़ी
योगी, ध्यानी और ज्ञानी
ये या फिर वो कुछ भी
पर तुम्हीं हो,
सिर्फ़ तुम…
मेरे शाश्वत इष्ठ
मुझे इस संसार में
लाने वाले
मुझ जैसे बैल को
शव से शिवत्व को देने वाले…
हे परमपिता परमेश्वर !!
मेरे भोलेनाथ
लिखे हैं.. अब
दो शब्द..प्यार के..
तुम्हारे लिये..
कह दो..
मेरे हो..’तुम’ अब..
जिंदगी भर के लिये…
मन में है एक ऐसी कामना
कुछ मैं करूँ और तुम पथप्रदर्शक बनो।
हर जिंदगी करूं मैं तेरी उपासना।
इंसान की पहचान दे तू
ऐसा कुछ मुझे ज्ञान दे
करता रहूँ मैं तेरी आराधना ।
प्यार सबसे कर सकूँ
ऐसा कुछ मुझे वरदान दे
पूजा के साथ ही जिंदगी गुजरे
तूने दिया हर बल निर्बल को
और मुझ जैसे अज्ञानी को साधना।
हे मेरे भोलेनाथ तीनों लोक में तू ही तू श्रद्धा
सुमन मेरा मन बेलपत्री जीवन भी अर्पण कर दूं
हे महाकाल !! से एक प्रश्न ?????
अर्थ है क्या- रिस्तो का ,
आकांक्षा का …तुम बताओ !
क्या इसे हम प्राप्त करते है निरर्थक आस्था में ,
या की संसार के निराले बांकपन में ?
–तुम बताओ !
शांत लहरों की अज़ब उत्तेजना का सबब क्या है ?
मानसिक धैर्य के ज्वार में क्या राज़ है ?
–चलो मुझको बताओ !
रूठ जायेंगे हम अगर,
न मानेंगे युगों तक !
हे परमपिता परमेश्वर !!
तुम कौन, कहाँ हो , कैसे हो ?
कब मनाने आओगे मुझे~~~
अरे कुछ तो बताओ ….!!!!!!!!
6 Responses
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