हिन्दी वर्णमाला का क्रम से कवितामय प्रयोग

हिन्दी वर्णमाला का क्रम से कवितामय प्रयोग है हिंदी में उच्चारण के आधार पर 45 वर्ण होते हैं। इनमें 10 स्वर और 35 व्यंजन होते हैं। लेखन के आधार पर 52 वर्ण होते हैं इसमें 13 स्वर , 35 व्यंजन तथा 4 संयुक्त व्यंजन होते हैं।
Table of Contents
स्वर
अ चानक ही
आ कर मुझसे
इ क तोता बोला
ई श्वर ने इन्सान को ही क्यों
उ त्तम ज्ञान-से तौला
ऊ पर हो तुम सब जीवों में
ऋ ष्य तुल्य अनमोल हो
ए क अकेली नस्ल अनोखी
ऐ सी क्या मजबूरी तुमको
ओ ट रहे दीवार की
औ र सताकर कमज़ोरों को
अं ग तुम्हारा खिल रहा है
अ:त में तुम्हें क्या मिल रहा है.?
व्यंजन
क हा मैंने- कि कहो
ख रगोस आज सम्पूर्ण
ग र्व से कि- हर अभाव में भी
घ र तुम्हारा बड़े मजे से
तड़क
च ल रहा है
छो टा सा – परिवार एक
ज गह में, बिना किसी
झ गड़े के, ना ही किसी
ञ—

ट कराव के संयुक्त परिवार पल रहा है
ठौ र यहीं है उसमें
डा ली-डाली, पत्ते-पत्ते
ढ लता सूरज छण —
त रावट देता है
थ कावट सारी, पूरे
दि वस की-बेटियों की मुस्कान से
ध न-धान्य की खिला देता है
ना दान-नियति से अनजान अरे
प गला ये मानव
फ़ रेब के पुतलो सा
ब न बैठे हो निठल्ले
भ ला याद कहाँ तुम्हें
म नुष्यता का अर्थ.?
य ह जो थी, शिव की
र चना अनुपम…
ला लच-लोभ के
व शिभूत होकर
श र्म-धर्म सब तजकर
ष ड्यंत्रों के खेतों में
स दा पाप-बीजों को बोकर
हो कर स्वयं से दूर
संयुक्त व्यंजन
क्ष णभंगुर सुख में अटक चुके हो
त्रा स को आमंत्रित करते
ज्ञा न-पथ से क्यों भटक चुके हो.!!
श्र !
यह कविता हिन्दी के वर्णमाला को समझने के लिए एक प्रयोगात्मक पहल है
आज के छात्रों को भी नहीं पता होगा कि भारतीय भाषाओं की वर्णमाला विज्ञानिकता से भरी है। वर्णमाला का प्रत्येक अक्षर तार्किक है और सटीक गणना के साथ क्रमिक रूप से रखा गया है। इस तरह का वैज्ञानिक दृष्टिकोण अन्य विदेशी भाषाओं की वर्णमाला में शामिल नहीं है।
जैसे देखें…
? क ख ग घ ड़ – पांच के इस समूह को “कण्ठव्य” (कंठवय) कहा जाता है क्योंकि इस का उच्चारण करते समय कंठ से ध्वनि निकलती है। उच्चारण का प्रयास करें।
? च छ ज झ ञ – इन पाँचों को “तालव्य” (तालु) कहा जाता है क्योंकि इसका उच्चारण करते समय जीभ तालू महसूस करेगी। उच्चारण का प्रयास करें।
? ट ठ ड ढ ण – इन पांचों को “मूर्धन्य” (मुर्धन्य) कहा जाता है क्योंकि इसका उच्चारण करते समय जीभ मुर्धन्य (ऊपर उठी हुई) महसूस करेगी। उच्चारण का प्रयास करें।
?त थ द ध न – पांच के इस समूह को “दन्तवय” कहा जाता है क्योंकि यह उच्चारण करते समय जीभ दांतों को छूती है। कोशिश करो
?प फ ब भ म – पांच के इस समूह को कहा जाता है “अनुष्ठान” क्योंकि दोनों होठ इस उच्चारण के लिए मिलते हैं। कोशिश करो
क्या दुनिया की किसी भी अन्य भाषा में ऐसा वैज्ञानिक दृष्टिकोण है? हमें अपनी भारतीय भाषा के लिए गर्व की आवश्यकता है, लेकिन साथ ही हमें यह भी बताना चाहिए कि दुनिया को क्यों और कैसे बताएं।
दूसरों को भेजें और हमारी भाषा का गौरव बढ़ाएँ..✍
“स” का उच्चारण सिर्फ प्रशिक्षण प्राप्त जीभ कर सकती है , जबकि ” ह ” के उच्चारण में विशेष प्रशिक्षण की आवश्यकता नहीं है । इसलिए आदिम मनोभाव सूचक शब्दों में प्रायः ” ह ” रहता है , यथा : आह , ओह , अहा , हाय , हा – हा , हूँ आदि । यदि जीभ को ध्वनि – विकास का गवाह माना जाए तो हिन्द से सिन्ध का विकास संभव है ।सिंध से हिंद बनने की संभावना नहीं है । निष्कर्ष कि हिंद से सिंध बना है । सिंध से हिंद नहीं बना है ।
बच्चें किसी भी देश की धरोहर होते है बच्चे जितने स्वस्थ और विचारवान होंगे देश उतना ही तरक्की करेगा माता पिता ही है जो हमें चलना सिखाते है, प्रकृति ही है जो हमें सही गलत का मतलब बताते है। आप Hindi, (हिंदी) में जानना चाहे जिसमे की बेहतरीन कविताएं, रचनाएँ ( क़लम एक कुदाल ) मिलती है जिन्हे आप Facebook, Whats App पर post व शेयर कर सकते हैं पढ़िए बच्चों पर आधारित बेहतरीन रचनाएँ ( क़लम एक कुदाल )
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