क्यों कोसता सरकार को

वज़ह तु हैं विश्वबंधु
क्यों कोसता हैं सरकार को
सभी तकलीफों की वज़ह तु हैं,
आजके इस तबाही की वजह तु हैं।
तेरी अंधभक्ति तेरी नादानी ने
हालात बिगाड़ा इस क़दर हैं,
हर तरफ मौत का
मंजर हैं देखते जिधर हैं।

मंदिर की चाह में,
क़ब्र की तैयारी कर ली,
छोड़ भाईचारा नरभक्षियों से
यारी कर ली।
हाथ में ही तेरे सब कुछ था
पर तुने गवा दिया,
नरपिशाचों की तबाही को हवा दिया।
आज गिरते पड़ते एड़िया
रगड़ते रास्ते में पड़ा हैं,
कहीं ट्रक कहीं रेल तुझ पर चढ़ा हैं।
धर्म अफीम हैं धर्म नशा हैं,
आज तेरे जिंदगी पर शिकंजा कसा हैं।
तुने ही उन्माद होकर
इस दल को चुना था,
भावनाओं में बहका था
विवेक की नहीं सुना था।
एक बोतल दारू और चंद
टुकड़े गोश्त में तु बिकता हैं,
हिन्दू मुस्लिम के सिवाय
तुझे कुछ नहीं दिखता हैं!
आज जो जुल्म का
माहौल चारों तरफ ब्याप्त हैं,
फिर से दास युग
आने के लिए पर्याप्त हैं।
सहकर बेरहम उत्पीड़न
यदि तेरी आंख नहीं खुलती हैं,
तुझे समझा रहा हूँ
यह हमारी गलती हैं।
उठ सम्हल एक निश्चय ले ले,
जो तेरे जज्बात से खेले,
मिटा देगा वतन से जो दानवीय सत्ता हैं,
तेरे भावनाओं की किया जिसने हत्या हैं।
तेरे ही सत्य निष्ठा से इन्किलाब आएगा,
अत्याचार का साम्राज्य को मिटाने
समाजवाद का सैलाब लाएगा।
आप Hindi, (हिंदी) में जानना चाहे जिसमे की बेहतरीन रचनाएँ विश्वबंधु राज जी की देश और समाज पर आधारित कविताएं एवं रचनाएँ ( क़लम एक कुदाल ) मिलती है जिन्हे आप Facebook, Whats App पर post व शेयर कर सकते हैं पढ़िए विश्वबंधु राज जी की देश और समाज पर आधारित बेहतरीन कविताएं एवं रचनाएँ ( क़लम एक कुदाल )
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