सत्यम शिवम सुंदरम

सनातनी परम्परा में माना जाता है कि सत्यम शिवम सुंदरम जैसा मन्त्र या फिर शिव परिवार का चित्र अपने घर में लगाने से परिवार में सुख शान्ति बढती है .
इसका क्या कारण हो सकता है ?
सनातन परम्परा में प्रतीकों पर बहुत जोर दिया गया है , उसी प्रकार शिव परिवार के प्रतीकों को प्राकृतिक नियमों को समझते हुए एक प्रयत्न करते हैं .
शिव के गले में सर्प है और उनकी सवारी नंदी बैल है.
माता पार्वती का वाहन सिंह है .
कार्त्तिकेय मयूर तो गणेशजी चूहे पर विराजमान हैं .
अब आप प्राकृतिक तौर पर एक खाद्य शृंखला की संरचना को समझिये, सिंह का भोजन बैल है , चूहे को सांप खाता है एवं सांप को मोर .
फिर भी ये सभी बिना किसी विवाद के एक साथ प्रसन्नता से रह रहे हैं .
अर्थात परिवार में सभी का मत अलग हो सकता है, एक दुसरे के प्रबल विरोध में हो सकता है, किन्तु जब साथ में प्रेमपूर्वक रहना हो तो अपने मत को दबा लीजिये अर्थात उसकी सवारी कर लीजिये और प्रेम से, सहिष्णुता से रह सकते हैं.
आप विभिन्न और विरोधी मतों के होकर भी प्रसन्नता पूर्वक एक दुसरे के साथ सामंजस्य बिठाकर जी सकते हैं. जरूरी नहीं कि एक दुसरे के मत को स्वीकारें. किन्तु एक दुसरे के किसी भी मत का होने पर कोई समस्या किसी का न हो।
यही एक आदर्श कुटुंब, आदर्श समाज , आदर्श राष्ट्र एवं आदर्श विश्व का प्रतीक है . यही परिवार इस समय की मांग है सम्पूर्ण विश्व में, इसे ही वसुधैव कुटुम्बकम कहा जाता है, जो दुसरे मत का सम्मान नहीं कर सकता वो कभी भी शिव को मानने वाला नहीं हो सकता।
ये सबसे बड़ा #सेक्युलर चरित्र है सनातन परम्परा में । जिसके परिवार में सांप, चूहा, मोर, बैल, शेर सब साथ में रहते हों, बिना किसी को नुकसान पहुचाये।
शिव के कंठ में विष है तो जटाओं में अमृत रुपी गंगा।
शिव दरअसल हिंदोस्तानी का प्रतीक हैं। सभी विरोधभासों को अपने में समाहित कर लेने की ताकत सिर्फ़ हिन्दोस्तान में है। शिव सिर्फ़ हिन्दोस्तान में हो सकते हैं या जहां ये गुण होंगे शिव सिर्फ वही होंगे।
जो भी इन गुणों को एक साथ जी ले, वह #शिवत्व को उपलब्ध होकर शिव कहलाता है। इसी कारण हिन्दोस्तान में शिव है और शिव ही हिन्दोस्तान है। शिव के इस स्वरूप को बिगाड़ने का प्रयास शिव की #तीसरी_आंख खुलने का आमंत्रण देना है।
मैं शिवभक्त नंदी हूँ, इसलिए इस मत को मानता हूँ। यही मत हिन्दोस्तान की आत्मा में है।
इस आत्मा को छलनी करने के प्रयत्न में लगे #देशविरोधी मतांधो से मेरा विरोध है , करता रहूंगा।
इस दुनिया में प्रकृति नही होती तो हमारा कोई अस्तित्व नही होता। प्रकृति ही है जो हमें चलना सिखाती है, प्रकृति ही है जो हमें सही गलत का मतलब बताती है। आप Hindi, (हिंदी) में जानना चाहे जिसमे की बेहतरीन कविताएं, रचनाएँ ( क़लम एक कुदाल ) मिलती है जिन्हे आप Facebook, Whats App पर post व शेयर कर सकते हैं पढ़िए शिव पर बेहतरीन रचनाएँ ( क़लम एक कुदाल )
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