Tagged: छलकती
फूल सी हल्की बेटी
फूल सी हल्की बेटी, बोझ आज के परिवेश का है,नहीं तो बेटियां कितनी भी बड़ी हो जाये,गोद कभी छोटी नहीं पड़ती..डोली में बैठी बेटीबोझ थी कंभीबोझ से मुक्तससुराल में गईनया जीवनबेटी की यादेंभुलाए न...
नये टीचर नये टीचर ने- क्लास में आते हीबच्चों कोअपना लंबा चौड़ा परिचय दिया बातों ही बातों मेंउसने जान लिया कीलड़कियों के इस क्लास मेंसबसे तेज और सबसे आगेकौन सी लड़की है ? उसने...
फूल सी हल्की बेटी, बोझ आज के परिवेश का है,नहीं तो बेटियां कितनी भी बड़ी हो जाये,गोद कभी छोटी नहीं पड़ती..डोली में बैठी बेटीबोझ थी कंभीबोझ से मुक्तससुराल में गईनया जीवनबेटी की यादेंभुलाए न...
More